Wednesday 22 June 2022

लिख न सके यदि अपने युग को, समझो तुम फ़र्ज़ी लिखते हो।

 किसकी जय गाथा लिखनी थी, सोचो, तुम किसकी लिखते हो! 

रायबरेली के रहने वाले जनाब जय चक्रवर्ती ने बहुत कुछ लिखा है। बहुत ही लोकप्रिय शायर हैं। दोहे भी कमाल के हैं और ग़ज़लें भी। हर रचना एक संदेश देती है। हर रचना जगाती है। आंदोलित भी करती है। खरड़ मोहाली में रहनेवाले शायरों ने व्टसप पर एक ग्रुप बना रखा है वेद दीवाना फैन क्लब। इस ग्रुप में तकरीबन हर पोस्ट में खूब सूरत शायरी होती है। वक्त की बात करती हुई। जनता की बात करती हुई। सत्ता की चालों को बेनकाब करती हुई। इस बार इसी ग्रुप में सामने आई जय चक्रवर्ती साहिब की एक ख़ास ग़ज़ल जिसमें सवाल किए गए हैं है कलमकारों।  इसे पोस्ट किया इस ग्रुप में जनाब शिव शरण बंधु साहिब ने 21 जून 2022 की रात्रि को 07:51 पर। शिव साहिब से सम्पर्क किया जा सकता है उनके मोबाईल नंबर पर +91 94151 66683

जय चक्रवर्ती साहिब की ग़ज़ल 

लिखने भर को ही लिखते हो,

या फिर कुछ सच भी लिखते हो?


'ना' को 'ना' लिखना आता है,

अथवा केवल 'जी' लिखते हो?


लिख न सके यदि अपने युग को,

समझो तुम फ़र्ज़ी लिखते हो। 


क्यों लिखते हो, पहले सोचो,

फिर लिक्खो जो भी लिखते हो। 


लिक्खो औरों की भी पीड़ा,

क्यों केवल अपनी लिखते हो?


जैसा लिखते, दिखते हो क्या,

या यूँ ही खाली लिखते हो?


किसकी जय गाथा लिखनी थी,

सोचो, तुम किसकी लिखते हो!

@जय चक्रवर्ती  

वेद दीवाना फैन क्लब से साभार