Friday 21 February 2020

निरंतर सक्रिय है लुधियाना का प्रीत साहित्य सदन

साहित्य को अभियान बनाने में जुटा साहित्य प्रेमियों का विशेष ग्रुप 
लुधियाना: 21 फरवरी 2020: (साहित्य स्क्रीन ब्यूरो)::
वाटसअप ग्रुप प्रीत साहित्य सदन 
साहित्य में चलती सियासत से कोसों दूर रहते हुए शुद्ध साहित्य पर अपना ध्यान केंद्रित करने वालों में से एक हैं  लुधियाना के जनाब मनोज कुमार "प्रीत"। यूं तो अक्सर साहित्यिक आयोजनों में भी दिख जाते हैं लेकिन ज़्यादातर उनका ध्यान केंद्रित रहता है "प्रीत साहित्य सदन" पर। कहने को तो यह एक वाटसअप ग्रुप ही है लेकिन वास्तव में यह एक अभियान है-साहित्य समर्पित अभियान। देश और दुनिया के अलग अलग कोनों में रहने वाले साहित्यकारों को एक  पिरोने का अभियान भी। यदि कोई सदस्य जाने अनजाने अपने सियासी प्रचार की  उसे तकरीबन तकरीबन सभी एडमिन बहुत ही प्यार से समझा देते हैं की ऐसा करने की इस ग्रुप में इज़ाज़त नहीं है। ग्रुप में हिंदी साहित्य की चर्चा भी होती है और पंजाबी साहित्य की भी। इसी ग्रुप के ज़रिये हर बार सदन की साहित्यिक बैठक के आयोजन की सूचना भी सदस्यों को दी जाती है। आम तौर पर आयोजन का स्थान भी हर बार वही होता है लुधियाना के समराला चौंक में स्थित सदन का कार्यालय। इन्हीं बैठकों में साहित्य प्रेमी मिल कर बैठते हैं। शायरी का दौर चलता है। साहित्य की चर्चा होती है और कई बार किसी न किसी पुस्तक का विमोचन भी सुनिश्चित।  प्रपत्र भी  और उन पर चर्चा भी होती है। इसी ग्रुप में देश के अन्य स्थानों पर होने वाले आयोजनों की सूचना भी दी जाती है और अन्य विवरण भी। साथ ही शायरी का प्रकाशन भी होता है और साहित्य रस से भरी नोक झोंक भी चलती है। कुल मिला कर यह ऐसा ग्रुप है जो आपको साहित्य से भी जोड़े रखता है  साहित्यकारों से भी। 
इसी ग्रुप में से जनाब सुभाष गुप्ता शफी़क़ साहिब की दो लघु काव्य रचनाएं:
अच्छा हो सकता नहीं उस बस्ती का हाल
बेसन हो सस्ता जहां महंगी चने की दाल
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बोना और फिर सींचना हम को लगे फजूल
ले आये बाजार से हम कागज के फूल
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