Saturday 15th February 2025 Remembering Pulwama Attack Sahitya Screen साहित्य स्क्रीन
देश हित कुर्बानी के लिए एक नया इतिहास रचा पुलवामा के शहीदों ने
मोहाली: 14 फरवरी 2025: (कृष्णा गोयल//AI Gemini// मीडिया लिंक डेस्क//साहित्य स्क्रीन)::
दिल हिला देने वाली यह एक सच्ची कहानी है जिसकी याद आते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं। इसकी चर्चा करने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बताती है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को एक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें भारत के 40 जवान शहीद हो गए थे। यह हमला दोपहर के लगभग 3 बजे हुआ था।
भारत का एक्शन: इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण शिविरों पर हवाई हमले किए थे। भारत सरकार ने इस हमले को 'सर्जिकल स्ट्राइक 2' का नाम दिया था। इस हमले में कई आतंकियों के मारे जाने की खबर थी।
एक बार फिर 14 फरवरी
पुलवामा के शहीदों की याद आते ही उनके परिजनों की भी याद आती है... उनकी मां, उनके पिता,उनकी संतान, उनकी पत्नी, --क्या बीती होगी उन सभी पर...! इस असहनीय दुःख की कल्पना ही संवेनदशील लोगों को भावुक कर देती है। दुःख और गम की इसी लहर के चलते शायरा ने एक काव्य रचना प्रेषित की है जिसे हम साहित्य स्क्रीन पढ़ने वाले पाठकों के लिए यहां प्रकाशित कर रहे हैं।
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Courtesy>Sunil Shah Profile |
लीजिए पढ़िए कृष्णा गोयल की काव्य रचना पुलवामा
तुम्हारे चिथड़े चिथड़े देख कर
रो पड़ा देश सारा,
केसे बताया तुम्हारी मां को
जिसका तू लाडला
आंख का तारा!
केसे ढाढस बंधाया तेरे पिता को
जिसका तू बुढ़ापे का सहारा!
कैसे बताया तेरे भाई को
जिसका तू दायां हाथ था,
जिसकी हर गुरबत में
तेरा साथ था!
तुम्हारी प्यारी विवाहिता
तुम्हारी आरती उतारती थी,
तुम्हारी फोटो ले ले कर
अपने चाव उतारती थी।
दिल चाहे उसके आंसू पी जाएं
पर कैसे उसको धीर बंधाए?
जो शांत कर दें उसको,
वो शब्द कहां से लाएं?
उस नन्ही जान का
दुख केसे बांटेंगे?
जो तोतली जुबान में बोलती है
पापा मेरी doll लेकर लौटेंगे।
जिस बहन को तुमने
डोली में था बिठाना,
बार बार बेहोश होकर गिरती है
उसके सदमे का क्या ठिकाना!
फरवरी का जब ये सप्ताह आता है,
दिल घबराता है,
लाडले वीरों के याद करके
कलेजा मुंह को आता है।
आज सब का मन डोलता है,
खून सब का खौलता है,
कोई वंदे मातरम
कोई जय जवान बोलता है।
कुछ सोच कुछ तदबीर बनाएं,
मिलजुल कर कसमें खाएं,
इस से पहले कि कोई आंख उठाए
फोड़ दें वह आंखें
अलख मुकाएं।
एक नहीं 40 घरों में
अंधेरा छा गया,
आज वही 14 फरवरी
का दिन आ गया!
कसम है तेरे चिथड़ों की
उनको न भुलायेंगे
अब और नही, अब और नही
दुश्मन को और सह नहीं पाएंगे
बच्चे बच्चे में स्वाभिमान जगाएंगे
जो देखेगा बुरी नजर से
फोड़ देंगे वो आंख
सिर धड़ से उड़ाएंगे!
भारत मां के लाडलो!
हर दिल पे खुदा तुम्हारा नाम है,
शत शत प्रणाम तुम्हे
शत शत प्रणाम है।
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कृष्णा गोयल
पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार AFT
14 फरवरी 2025
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सच में पुलवामा कांड याद आते ही रोंगटे खडे हो जाते है। आंखे नम हो जाती है। ईश्वर शहीदों को अपनी शरण में रखें।
ReplyDeleteओम शांति