Dec 9, 2018, 5:15 PM
साहिर के वतन में आज भी शायरी जिंदा है:दानिश भारती
लुधियाना: 9 दिसम्बर 2018: (साहित्य स्क्रीन ब्यूरो)::
खूबसूरत महफिल-ए-शायरी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता श्री डी.के सचदेवा उर्फ दानिश भारती ने की। इस अवसर पर मुख्य मेहमान हाजी बाबा हाफिज मुहम्मद इकराम का नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने सम्मान भी किया। शायरी की इस महफिल में वरुण आनंद, अशफाक अहमद, सागर सायालकोटी, तरसेम नूर, मनोहर विजय, हस्सान नसीराबादी, रजनीश वर्मा,राजिंदर राजन, काफिर जलंधरी, गुरचरण नारंग, बसित अली बेताब, सैम मुसाफिर ने अपना ताजा कलाम पेश किया। इस अवसर पर महफिल की अध्यक्षता करते हुए जनाब दानिश भारती ने कहा की लुधियाना शहर ने जहां स्वतंत्रता संग्राम और उद्योग में अपना नाम कमाया है वहीं शायरी की दुनिया में साहिर लुधियानवी जैसे सपूत इस धरती पर पैदा हुए, जिन्होंने साहित्य की दुनिया में अपने शहर को एक अलग पहचान दी है। दानिश भारती ने कहा कि साहिर के वतन में आज भी शायरी जिंदा हैं, लुधियानवीओं का शायरी सुनने का अंदाज भी बड़ा सम्मान जनक है। उन्होंने ने कहा कि बज्मे हबीब शहर की एक पुरानी और मशहूर अदब नवाज संस्था है जो की प्रसिद्ध मरहूम मौलाना मुहम्मद अहमद रहमानी ने देश के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी प्रथम के नाम पर 1956 में स्थापित की थी। दानिश ने कहा की बज्मे हबीब लुधियानवियों का एक गुलदस्ता है जिसकी खुशबू चारों ओर फैली हुई है। इस अवसर पर नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने सभी शायरों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि शायरी दिल की आवाज होती है इसे लफ्जों में ढालना हर एक के बस की बात नहीं, जो शायर होते हैं वह जिंदा दिल होते हैं। निडर और साफ छवि वाले शायर एक अच्छा समाज बनाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। नायब शाही इमाम ने कहा कि अगर हम इतिहास उठा कर देखें तो शायरी में सिर्फ इश्क और मजा ही नहीं है बल्कि यह शायर जंग-ए-आजादी में दिलों में गर्माहट पैदा करते भी नजर आते हैं। उस्मान रहमानी ने कहा कि आज जरुरत है कि नौजवान नसल में अच्छी शायरी के प्रति जागरूकता लाई जाए।
महफ़िलए शायरी की विस्तृत और शानदार ख़बर प्रकाशित करने के लिए "साहित्य स्क्रीन" और जनाब कथूरिया साहब का बहुत बहुत शुक्रिया
ReplyDelete( दानिश )
बहुत बहुत शुक्रिया दानिश साहिब--
Deleteमुझे पहले पता लग जाता तो खुद भी हाज़िर होता--