महिला काव्य मंच लुधियाना का विशेष आयोजन 17 जुलाई को
17 जुलाई को होने वाली मुंशी प्रेमचंद स्मृति काव्य/कथा गोष्ठी के लिए जिस जिस को भी बुलाया गया है उसे निम्न क्रमांक के अनुसार बुलाया जाएगा। निवेदन किया गया है कि आप सभी अपनी अपनी एक ही रचना के साथ तैयार रहें। रचना बिना किसी भूमिका के पढ़ें और तीन/चार मिनट से ज्यादा समय न लें।
प्रतिभागियों के नाम इस प्रकार रहेंगे:1. शालू, 2. शैली वधवा,3. मोनिका कटारिया, 4. पूर्वा सिंह (लघुकथा), 5. डॉ. मोनिका शर्मा, 6. श्रद्धा शुक्ला, 7. नीलू ठाकुर, 8. रश्मि अस्थाना (लघुकथा), 9.मोनिका चौधरी, 10. शालिनी मित्तल, 11.राधा शर्मा, 12.सीमा वर्मा (लघुकथा),13. रचना गुलाटी,14. सविता खोसला,15. अनुराधा कटारिया,16.नैंसी शर्मा (लघुकथा), 17.विभा कुमारिया शर्मा, 18. अर्चना खापरान, 19. ममता जैन, 20.पूनम सपरा(समीक्षा), 21. डा. मोनिका शर्मा डोगरा, 22.श्रुति, 23.ममता वढेरा, 24.क्षमा लाल गुप्ता (समीक्षा), 25. इरादीप त्रेहन, 26.बेनु सतीशकांत, 27.सीमा भाटिया, 28.सवीना वर्मा सवी। इस अवसर पर मंच संचालन करने की ज़िम्मेदारी छाया शर्मा और श्रद्धा शुक्ला की रहेगी।
जब लोग घरों में बैठे बैठे अपने अपने अकेलेपन और उदासी से दो चार हो रहे हैं उस माहौल में लोगों को मानसिक तौर पर नया उत्साह देने के लिए यह एक विशेष अर्थपूर्ण प्रयास है। यह साहित्य को अमीर तो करेगा ही साथ ही दूरियों के इस ज़माने में भी लोगों को एक दुसरे के नज़दीक ले कर आएगा।
आपको यह आयोजन कैसा लगेगा इसे बताना न भूलें। --कार्तिका सिंह
अपनी मन की अनुभूतियों को व्यक्त करने के लिए साहित्य से बेहतरीन कोई मार्ग नहीं है। मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती के उपलक्ष्य में रखी इस काव्य कथा गोष्ठी का भी यही प्रयोजन है। धन्यवाद कार्तिका सिंह हमारे उत्साहवर्धन के लिए 🙏
ReplyDeleteसीमा भाटिया जी आप ने बिलकुल सही कहा--साहित्य बेहतरीन मार्ग है अनुभूतियों की अभिव्यक्ति के लिए--साथ ही समाज को आईना दिखाने की क्षमता भी है इसमें..हमें मुंशी प्रेम चंद जी की बात करते हुए उन्हीं जैसी समर्पण भावना, बेबाकी, निडरता और सलीका भी आज की युवा पढ़ी तक ले कर जाना होगा..मुंशी जी का साहित्य आज भी प्रासंगिक है--गोदान अज भी महत्वपूर्ण है-- मुंशी जी को स्मरण करते हुए, उनके दिवस मनाते हुए आप विशेष आयोजन कर रहे हैं इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं--कार्तिका सिंह
Deleteसीमा भाटिया जी आप की पूरी टीम को इस विशेष आयोजन के लिए बधाई--इस खबर की सामग्री और कवरेज में माननीय पूनम सपरा जी ने हर बार की तरह इस बार भी सहयोग दिया....हमें आज भी मुंशी प्रेम चंद जी का साहित्य आकर्षित करता है--पढ़ा जाता है--दिल और दिमाग को झंक्झोरता है तो एक बात साफ़ है की समाज में मुंशी जी के समय की समस्याएँ आज आधुनिक विकास के तथाकथित दावों के बावजूद भी मौजूद हैं..शोषण आज भी हो रहा है--हर कलम में मुंशी जी जैसी बेबाकी आ पाए इसके लिए आज के स्थापित कलमकारों को ही आगे आना होना...पदों और पुरस्कारों से ऊंचा उठते हुए शोषण के खिलाफ मुंशी जी की तरह ही निरंतर अवे बुलंद करनी होगी---आप सभी को एक बार फिर हार्दिक बधाई--हर तरह के शोषण के खिलाफ उठाना ही मुंशी जी को सच्चे मन से याद करना होगा--कार्तिका सिंह
ReplyDeleteजी बिल्कुल सही कहा आपने आपको इस प्रयास के लिए हार्दिक बधाई कारवां में किसी को जोड़ना कारवां को आगे बढ़ाना बहुत उत्साह का काम है ईश्वर आपको मोतियों की माला इसी प्रकार जोड़कर बनाए रखने के लिए बहुत हिम्मत दे
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